खग जग हो या जंगल भारी सब संभव जब संंग ईक नारी।। खग जग हो या जंगल भारी सब संभव जब संंग ईक नारी।।
ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।। ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।।
आंखों में आंसू, फिर भी चेहरे पर मुस्कान, अब हमारे लिए एक नई यात्रा की प्रतीक्षा है। आंखों में आंसू, फिर भी चेहरे पर मुस्कान, अब हमारे लिए एक नई यात्रा की प्रतीक...
ये सफर कहाँ जा रहा है मगर गम के साये से गुजर कर मेरा मुस्कुराना मुनासिब है ! ये सफर कहाँ जा रहा है मगर गम के साये से गुजर कर मेरा मुस्कुराना मुनासिब ...
शांत वातावरण और मिटटी की महक थी, अँधेरी रात में खिली एक कली थी। शांत वातावरण और मिटटी की महक थी, अँधेरी रात में खिली एक कली थी।
लिखता हूँ दिल की आवाज पर दिमाग इजाजत नहीं देता। लिखता हूँ दिल की आवाज पर दिमाग इजाजत नहीं देता।